आज नाथ एक बर्त्त माँहि सुख लागत है ~ विद्यापति

आज नाथ एक बर्त्त माँहि सुख लागत हे। तोहें सिव धरि नट वेष कि डमरू बजाएब हे॥ भल न कहल गउरा रउरा प्राजु सु नाचब हे। सदा सोच मोहि होत कबन विधि बाँचब हे ॥ जे-जे सोच मोहिं होत कहा सुझाएब हे॥ रउरा जगत के नाय कबन सोच लागए हे ॥ नाग ससरि भुमि खसत… Continue reading आज नाथ एक बर्त्त माँहि सुख लागत है ~ विद्यापति

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