6.12 समाजवादमें लोकतन्त्र ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
6.12 समाजवादमें लोकतन्त्र ‘सोवियट कम्युनिज्म’ (रूसी साम्यवाद) नामक पुस्तकमें फेबियन वेव दम्पतिने लिखा है कि…
6.11 राष्ट्रका वशीकरण ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
6.11 राष्ट्रका वशीकरण यद्यपि समाजका आधार व्यक्ति है, तथापि बिना संघटनके समाज नहीं बनता। संगठित…
6.10 संघटनकी कुंजी ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
6.10 संघटनकी कुंजी यह तो हुई विघटनकी बात। अब जहाँ ‘सङ्घे शक्ति: कलौ युगे’ की…
6.9 श्रेणीभेदका आधार ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
6.9 श्रेणीभेदका आधार मार्क्स कहता है—‘जैसे पशुओं, वनस्पतियों, धातुओंमें श्रेणीभेद है, वैसे मनुष्योंमें भी श्रेणीभेद…
6.8 वास्तविक पूँजीवाद ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
6.8 वास्तविक पूँजीवाद कहा जाता है कि ‘पूँजीवादी समाज भी प्राचीन वर्गोंके समान ही उसी…
6.7 वर्ग-विद्वेष ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
6.7 वर्ग-विद्वेष कहा जाता है कि ‘जिन प्राचीन हब्शी-भिल्ल आदि जंगली जातियोंमें प्राचीनकालके अनुसार जीवन…
धर्मशास्त्र
नाम अपराध का परिचय
भगवन्नाम के प्रति कई प्रकार के अपराध (नाम अपराध) होते हैं। इन सभी अपराधों का…
राजधर्म
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3.4 रूसोके विचार ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
3.4 रूसोके विचार १७८९ की फ्रांसकी राज्यक्रान्तिका प्रवर्तक रूसो दस वर्षकी अवस्थामें ही एक पादरीके…
श्रीमृत्युंजयमानसिकपूजास्तोत्रम्
।।श्रीः।। ।।श्रीमृत्युंजयमानसिकपूजास्तोत्रम्।।कैलासे कमनीयरत्नखचिते कल्पद्रुमूले स्थितं कर्पूरस्फटिकेन्दुसुन्दरतनुं कात्यायनीसेवितम्। गङ्गातुङ्गतरङ्गरञ्जितजटाभारं कृपासागरंकण्ठालंकृतशेषभूषणममुं मृत्युंजयं भावये।।1।। आगत्य मृत्युंजय चन्द्रमौले व्याघ्राजिनालंकृत…
श्रीदक्षिणामूर्त्यष्टकम्
।।श्रीः।। ।।श्रीदक्षिणामूर्त्यष्टकम्।।विश्वं दर्पणदृश्यमाननगरीतुल्यं निजान्तर्गतं पश्यन्नात्मनि मायया बहिरिवोद्भूतं यथा निद्रया। यः साक्षात्कुरुते प्रबोधसमये स्वात्मानमेवाद्वयंतस्मै श्रीगुरुमूर्तये नम…
6.4 शोषक-शोषित ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
6.4 शोषक-शोषित भूमि आदिके लिये युद्ध, संघर्ष होने; मालिक-गुलाम, शोषक-शोषित, उत्पीड़क-उत्पीड़ित आदिकी कल्पना तो ह्रासकालकी…
6.6 उत्पादन और नियम ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
6.6 उत्पादन और नियम उत्पत्तिके पुराने साधनों एवं पद्धतियोंमें रद्दोबदल होनेसे उत्पादनमें विस्तार अवश्य हो…
2. पाश्चात्य-राजनीति – 2.1 यूनानका राज्यदर्शन ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
पाश्चात्य राजनीतिपर विचार करते समय सर्वप्रथम उसके प्राचीन यूनानी राज्यदर्शनपर विचार करना पड़ता है। वहाँकी…
शिवकेशादिपादान्तवर्णनस्तोत्रम्
।।श्रीः।। ।।शिवकेशादिपादान्तवर्णनस्तोत्रम्।।देयासुर्मूर्ध्नि राजत्सरससुरसरित्पारपर्यन्तनिर्य त्प्रांशुस्तम्बाः पिशङ्गास्तुलितपरिणतारक्तशालीलता वः। दुर्वारापत्तिगर्तश्रितनिखिलजनोत्तारणे रज्जुभूताघोराघोर्वीरुहालीदहनशिखिशिखाः शर्म शार्वाः कपर्दाः।।1।। कुर्वन्निर्वाणमार्गप्रगमपरिलसद्रूप्यसोपानशङ्कां शक्रारीणां पुराणां त्रयविजयकृतस्पष्टरेखायमाणम्।…
4.14 कर्मविपाक और विकासवाद ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
4.14 कर्मविपाक और विकासवाद जड प्रकृतिसे विश्वका विकास माननेपर ईश्वरवाद और कर्मवादसे विरोध बतलाया जाता…
श्रीदक्षिणामूर्तिवर्णमालास्तोत्रम्
।।श्रीः।। ।।श्रीदक्षिणामूर्तिवर्णमालास्तोत्रम्।।मित्येतद्यस्य बुधैर्नाम गृहीतं यद्भासेदं भाति समस्तं वियदादि। यस्याज्ञातः स्वस्वपदस्था विधिमुख्यास्तं प्रत्यञ्चं दक्षिणवक्त्रं कलयामि।।1।। नम्राङ्गाणां…
“यथेमां वाचं कल्याणीम्” ~ श्रीसनातनधर्मलोक भाग – ३ ~ लेखक – पं. दीनानाथशर्मी शास्त्री सारस्वतः, विधावाचपत्ति; । ~ भाग ६
(२६) यहाँ ‘दीयतां, भुज्यताम्’ इसी यज्ञ में कही जाने वाली वाणी का बोध होता है,…