1.5 मार्क्स-दर्शन ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

1.5 मार्क्स-दर्शन कार्लमार्क्स (१८१८-८३)-ने हीगेलके द्वन्द्वमानको भौतिकवादसे जोड़ लिया, परंतु मार्क्स मानस या बोधको स्वयंविकास या विवर्त मानता है। इस प्रक्रियाका प्रथम अंश है एक अविभाजित इकाई। यह इकाई दो विरोधी अंशोंमें विभाजित हो जाती है। पुन: इन विरोधोंका समन्वय होकर एक नयी सम्बन्धित इकाईका जन्म होता है। इसी प्रकार सृष्टिका विकास होता रहता है। […]

1.5 मार्क्स-दर्शन ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज Read More »