3.14 हीगेल
हीगेल (१७७०—१८३१) सर्वश्रेष्ठ आदर्शवादी माना जाता है। कहा जाता है, उसका पिता सरकारी कर्मचारी था। अत: वह पिताके पेशेसे प्रभावित होकर नौकरशाहीका समर्थक हुआ। हीगेल फ्रांसकी राज्यक्रान्तिसे भी प्रभावित था। कहते हैं कि हीगेलका दर्शन केवल एक ही व्यक्ति समझ सका था और उस व्यक्तिने भी उसे गलतरूपमें ही समझा। वह व्यक्ति था मार्क्स। हीगेलके मतानुसार विचार-तत्त्व ही वास्तविक जगत्का निर्माण करता है। विचार ही एकमात्र सत्ताधारी है और जगत् सब उसीकी रचना है। यही वस्तुगत आदर्शवाद है। जहाँ मस्तिष्कका स्वतन्त्र अस्तित्व है, वहाँ मस्तिष्कमें चित्रण होनेसे वस्तुस्वरूप निश्चित होता है। यही आत्मगत आदर्शवाद है, परंतु हीगेलके वस्तुगत आदर्शवादके अनुसार मस्तिष्क और वस्तु-जगत् दोनों ही सर्वव्यापक विचार-तत्त्व या विश्वात्मासे संचालित हैं।
श्रोत: मार्क्सवाद और रामराज्य, लेखक: श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज, गीता सेवा ट्रस्ट
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