7.8 अतिरिक्त मूल्य और शोषण कहा जाता है कि ‘कला-कौशल उद्योग-धन्धोंके विकासके पहले जब दास-प्रथा थी, तब दासोंका भी शोषण अतिरिक्त श्रमके रूपमें होता था। दास एवं गुलामको केवल अन्न और वस्त्र दिया जाता था। वह भी उतना ही जितना कि उसके शरीरमें परिश्रम करनेकी शक्ति कायम रखनेके लिये पर्याप्त था। दासद्वारा कराये गये परिश्रमके… Continue reading 7.8 अतिरिक्त मूल्य और शोषण ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज