7.16 कृषकका अतिरिक्त श्रम और भूमि-कर ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

7.16 कृषकका अतिरिक्त श्रम और भूमि-कर मार्क्सवादी कहते हैं—‘किसानसे छीन ली जानेवाली यह अतिरिक्त पैदावार किसानको इस योग्य नहीं रहने देती कि जितने दामकी फसल वह बाजारमें भेजता है, उतने दामका दूसरा सौदा बाजारसे लेकर खर्च कर सके। किसानके श्रमका यह फल या धन भूमिके मालिकोंकी जेबमें चला जाता है और वहाँसे पूँजीपतियोंके जेबमें। अथवा […]

7.16 कृषकका अतिरिक्त श्रम और भूमि-कर ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज Read More »