7.22 मार्क्सवाद एवं युद्ध ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

7.22 मार्क्सवाद एवं युद्ध मार्क्सवादी कहते हैं कि ‘युद्ध जंगलीपनका चिह्न है। स्वयं कमाकर खानेके बजाय दूसरोंसे छीनकर पेट भरना ही युद्धका स्वरूप है। सामाजिक भावना एवं सहयोगकी बुद्धि होनेसे परिवारके रूपमें संगठित होते ही आपसी लड़ाई बन्द हो गयी। एक परिवारके आदमी एक हित समझकर आपसमें न लड़कर दूसरे परिवारसे लड़ने लगे फिर लड़ाईके… Continue reading 7.22 मार्क्सवाद एवं युद्ध ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

Exit mobile version