8.8 राष्ट्रियताका भाव ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

8.8 राष्ट्रियताका भाव मार्क्सवादके अनुसार ‘राष्ट्रियता भी पूँजीवादसे ही सम्बन्धित है। यूरोपमें पूँजीवादके साथ-साथ राष्ट्रियताका उदय हुआ था। व्यापारिक स्पर्धाके फलस्वरूप पूँजीपतियोंमें राष्ट्रियताकी चेतना जागरित हुई। १५वीं सदीमें व्यापारियों और मल्लाहोंके प्रोत्साहनद्वारा यूरोपके देशोंने अन्य महाद्वीपोंकी खोज की, अंग्रेजोंने भारतवर्षमें व्यापारिक, राजनीतिक अधिकार स्थापित किया। अन्य देशोंके व्यापारियोंने व्यापारिक सुविधा प्राप्त न होनेके कारण अपनेको […]

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