9.6 अन्तर्विरोधपर बुखारिन ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
9.6 अन्तर्विरोधपर बुखारिन ‘एक-दूसरेकी विरोधी भिन्न कार्यकारी शक्तियाँ पृथ्वीमें वर्तमान हैं। व्यतिक्रमके रूपमें इन शक्तियोंका समीकरण होता है, तब विरामकी स्थिति होती है। यानी उनके वास्तविक विरोधपर एक आवरण पड़ जाता है। लेकिन किसी एक शक्तिमें तनिकमात्र परिवर्तन करनेहीसे अन्तर्विरोधोंका पुनराभास होता है और उस समीकरणका अन्त होता है और यदि एक नये समीकरणकी सृष्टि […]
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