11.3 विज्ञान एवं समाजवाद
‘बोर्जिआई विज्ञानने जहाँ महान् वैज्ञानिक उन्नतियाँ प्राप्त की हैं, वहीं पूँजीवादी सम्बन्धोंने विज्ञानोंके विकासपर बन्धन (सीमाएँ) लगा दिये। समाजवादके अधीन जहाँ विज्ञानका जनताकी सेवाके लिये विकास किया जाता है, ये बन्धन दूर कर दिये जाते हैं। विशेषत: समाजवादके लिये मजदूरवर्गके संघर्षके उदयके साथ समाजविज्ञान स्थापित हुआ है। समाजवादी समाजमें पुरानी आदर्शवादी मृगमरीचिकाएँ या स्वप्न नष्टमूल हो जाती हैं और एक विश्वव्यापी वैज्ञानिक आदर्शवाद अस्तित्वमें आने लगता है।’
यदि पूँजीपति अपने स्वार्थ-साधनके लिये विज्ञानका विकास करना चाहते हैं तो मार्क्सवादी भौतिकवादतक ही उसे सीमित रखना चाहते हैं। अपने मतके विरुद्ध तथ्य निकालनेवाले वैज्ञानिकोंको फाँसीतककी सजा रूसमें दी गयी है, अगर सत्यकी खोज विज्ञानका लक्ष्य है, तो भी जैसा भी सत्य हो और जैसे उपलब्ध होता हो, वैसा ही प्रयत्न वैज्ञानिक प्रयत्न है।
श्रोत: मार्क्सवाद और रामराज्य, लेखक: श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज, गीता सेवा ट्रस्ट
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