11.11 अनुभव-विमर्श ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

11.11 अनुभव-विमर्श अनुभव यदि दूसरे अनुभवसे अनुभाव्य होगा तो अनवस्थादोष होगा; क्योंकि वह जिस अनुभवसे अनुभाव्य होगा, उसे भी किसी अन्य अनुभवसे अनुभाव्य होना पड़ेगा। यदि प्रथमानुभवसे द्वितीयका एवं द्वितीयसे प्रथमका अनुभव माना जाय तो अन्योन्याश्रयदोष होगा। प्रथमका द्वितीयसे, द्वितीयका तृतीयसे अनुभव मानें तो अनवस्था और यदि प्रथमानुभवका अपनेसे ही अनुभव माना जाय तो आत्माश्रय-दोष […]

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