11.14 आत्मा एवं भूत ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

11.14 आत्मा एवं भूत मार्क्सवादी ‘आत्माकी अपेक्षा प्रकृति या भूतको ही मूल मानते हैं। भौतिक चिन्त्य वस्तुसे भिन्न चिन्तन या विचार पृथक् नहीं किया जा सकता है। चेतना या विचार चाहे कितने ही सूक्ष्म क्यों न प्रतीत हों, परंतु हैं वे मस्तिष्ककी उपज ही। मस्तिष्क एक भौतिक दैहिक इन्द्रिय ही है। यह भौतिक जगत‍्का सर्वश्रेष्ठ… Continue reading 11.14 आत्मा एवं भूत ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

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