“यथेमां वाचं कल्याणीम्” ~ श्रीसनातनधर्मलोक भाग – ३ ~ लेखक – पं. दीनानाथशर्मी शास्त्री सारस्वतः, विधावाचपत्ति; । ~ भाग ३
(६) स्वामी दयानन्द सरस्वती जी को ही स्त्री-शूद्रादि के वेदाधिकार का इस मन्त्र में भ्रम क्यों हुआ, इस पर भी विचार कर लेना चाहिये । उस में कारण यह है कि उक्त मन्त्र में उत्तम पुरुष की क्रिया ‘आवदानि’ का प्रयोग है और इस मन्त्र का देवता ‘ईश्वर’ है। परन्तु ऐसा करने पर उक्त मन्त्र […]