सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – १०
गोत्र ‘गोत्र’ शब्द के कई अर्थ होते हैं। किसी व्यक्ति के गोत्र से तात्पर्य उस व्यक्ति के आदि पुरुष से होता है जो कि उस वंश का प्रवर्तक होता है। सबसे प्रथम वैदिक काल में जो ऋषि हुये उनके वंश का विस्तार आगे होता रहा। उस वंश के लोग अन्य लोगों से अलगाव रखने के […]
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