9.2 पूँजीका स्वरूप ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
9.2 पूँजीका स्वरूप कहा जाता है कि ‘अर्थशास्त्रके क्षेत्रमें पूँजी स्वयं उदाहरण है। वह धनका एक निम्नतम परिमाण है, जिसके रहनेपर ही उसका स्वामी पूँजीपति कहला सकता है। मार्क्सने उद्योगकी किसी शाखाके एक श्रमिकका उदाहरण लिया है, जो आठ घण्टेतक अपने लिये अर्थात् अपनी मजदूरीका अर्थ उत्पन्न करनेके लिये श्रम करता है और चार घण्टे […]
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