7.11 अतिरिक्त आय और अन्तर्विरोध मार्क्सवादियोंका कहना है कि ‘समाजकी कोई भी व्यवस्था जब पूर्ण विकासको प्राप्त हो चुकती है और उस व्यवस्थामें समाजके लिये आगे विकास करनेका अवसर नहीं रहता तो उस व्यवस्थाको तोड़नेके लिये स्वयं ही विरोधी शक्ति पैदा हो जाती है, जो उसे तोड़कर नयी व्यवस्थाका मार्ग तैयार कर देती है।’ मार्क्सवादके… Continue reading 7.11 अतिरिक्त आय और अन्तर्विरोध ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज