9.4 ऐतिहासिक द्वन्द्ववाद ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
9.4 ऐतिहासिक द्वन्द्ववाद कहा जाता है कि ‘इतिहासके लिये भी यही बात लागू है। सब सभ्य जातियोंका, जो एक निर्दिष्ट अवस्थाको पार कर चुकी हैं, आरम्भ भूमिके सामृद्धिक स्वामित्वसे होता है। कृषिके विकासके लिये एक स्तरपर भूमिका सामूहिक स्वामित्व उत्पादन-क्रियाके लिये बाधकस्वरूप बन जाता है। इसका अन्त किया जाता है, इसका प्रतिषेध होता है और […]
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