काण्ट

10.9 काण्टका ज्ञान-सिद्धान्त ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

10.9 काण्टका ज्ञान-सिद्धान्त ‘काण्ट इससे सहमत है कि हमारा ज्ञान अनुभवसे आरम्भ होता है और इस अनुभवकी प्रारम्भिक बात है—बाहरी वस्तुओंका अस्तित्व। वह केवल इस बातसे इनकार करता है कि यहीं इसका अन्त होता है; क्योंकि हमें ऐसी चीजोंका ज्ञान है, जो अनुभवसे परे हैं। वह इसको मान लेता है कि शेषोक्त प्रकारका ज्ञान पूर्वोक्त […]

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3.12 काण्ट ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

3.12 काण्ट काण्ट (१७२४-१८०४) आधुनिक आदर्शवादका जन्मदाता माना जाता है। वह कनिंग्सवर्ग विश्वविद्यालयका अध्यापक था। वह दर्शन एवं राजनीतिशास्त्रका विद्वान् और अध्यात्मवादी था। उसके मतानुसार एक वस्तुका ज्ञान उसकी बनावटसे नहीं, किंतु मस्तिष्कमें पड़े हुए उस वस्तुके प्रतिबिम्बसे होता है। एक वस्तुको हम पुस्तक इसीलिये कहते हैं कि वह हमारे मस्तिष्कके अनुसार पुस्तककी भाँति है।

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