3.8 वैयक्तिक स्वतन्त्रता ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
3.8 वैयक्तिक स्वतन्त्रता स्टुअर्टकी पुस्तक ‘स्वतन्त्रता’ (लिबर्टी, १८५९) व्यक्तिगत स्वतन्त्रताका सर्वोत्कृष्ट समर्थन करनेवाली है। व्यक्तिकी स्वतन्त्रता एवं व्यक्तित्वके लिये ‘मिल’ ने व्यक्तिवादको आवश्यक बतलाया। उसका कहना था कि ‘मानव-प्रगतिके लिये विचार एवं भाषणकी स्वतन्त्रता अत्यावश्यक है।’ कहते हैं, वह सनकी लोगोंकी भी स्वतन्त्रताका समर्थक था। उसका कहना था कि ‘इनमेंसे न जाने किसके विचारसे किसी […]
3.8 वैयक्तिक स्वतन्त्रता ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज Read More »