सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – ३
निर्धन वह है जो कि चरित्र भ्रष्ट है। पढ़ने, पढ़ाने और शास्त्र चर्चा करने वाले यदि चरित्रहीन हैं तो वे व्यसनी हैं, मूर्ख हैं। जो क्रियावान है वही पण्डित है। यदि कोई व्यक्ति चारों वेदों का ज्ञाता है किन्तु चरित्रभ्रष्ट है तो वह शूद्र से भी गया गुजरा है। जो शुद्ध आचरण वाला व्यक्ति है वही ब्राह्मण है।
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