गोत्रों का वेदादि विवरण
अगस्त्य : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर वाशिष्ठ, ऐन्द्रप्रमद, आभरद्वसव्य, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिक्षा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
उपमन्यु : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर वैश्वामित्र, कात्य, कील (आक्षील), शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
कण्व : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर आंगिरस, घौर, काण्व, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
कश्यप : वेद सामवेद, उपवेद गन्धर्व, ३ प्रवर कश्यप, असित, दैवल, शाखा कौथुमी, सूत्र गोभिल, शिखा वाम, पाद वाम, देवता विष्णु हैं।
कात्यायन : वेद यजुवेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर अगस्त्य, माहेन्द्र, मायोभुव, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
कुण्डिन : वेद अथर्ववेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर वाशिष्ठ, मैत्रावरुण, कौण्डिन्य, शाखा शौनकी, सूत्र बौधायन, शिखा वाम, पाद वाम तथा देवता इन्द्र हैं।
कुशिक : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर वैश्वामित्र, देवरात, औदल, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
कृष्णात्रेय : वेद ऋग्वेद, उपवेद आयुर्वेद, ३ प्रवर आत्रेय, आर्चनानस, श्यावाश्व, शाखा शाकल्य, सूत्र आश्वलायन, शिखा वाम, पाद वाम, देवता ब्रह्मा हैं।
कौशिक : वेद सामवेद, उपवेद गन्धर्ववेद, ३ प्रवर वैश्वामित्र, आश्मरथ्य, वाघुल, शाखा कौथुमी, सूत्र गोभिल, शिखा वाम, पाद वाम, देवता विष्णु हैं।
गर्ग : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ५ प्रवर आंगिरस, वार्हस्पत्य, भारद्वाज, गार्ग्य, शैन्य, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
गौतम : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर आंगिरस, औचथ्य, गौतम, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
घृतकौशिक : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर वैश्वामित्र, कापातरस, घृत, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
चान्द्रायण : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर आंगिरस, गौरुवीत, सांकृत्य, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
पराशर : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर वाशिष्ठ, शाक्त्य, पाराशर्य, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
भरद्वाज : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ५ प्रवर आंगिरस, वार्हस्पत्य, भारद्वाज, शौङ्ग, शैशिर, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
भार्गव : वेद सामवेद, उपवेद गन्धर्व, ५ प्रवर भार्गव, च्यावन, आप्नवान, और्व, जामदग्न्य, शाखा कौथुमी, सूत्र गोभिल, शिखा वाम, पाद वाम, देवता विष्णु हैं।
मौनस : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर मौनस, भार्व, वीतहव्य, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिक्षा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं।
वत्स : वेद सामवेद, उपवेद गन्धर्व, ५ प्रवर भार्गव, च्यावन, आप्नवान, और्व, जामदग्न्य, शाखा कौथुमी, सूत्र गोभिल, शिखा वाम, पाद वाम, विष्णु देवता हैं।
वशिष्ठ : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर वाशिष्ठ, आत्रेय, जातुकर्ण्य, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा वाम, पाद वाम, देवता विष्णु हैं।
शाण्डित्य : वेद सामवेद, उपवेद गन्धर्व, ३ प्रवर शाण्डिल्य, आसित, दैवल, शाखा कौथुमी, सूत्र गोभिल, शिखा वाम, पाद वाम, देवता शिव हैं।
संकृति : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ५ प्रवर आंगिरस, सांकृत्य, गौरुवीत, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण देवता शिव हैं।
सावर्णि : वेद सामवेद, उपवेद गन्धर्व, ५ प्रवर भार्गव, च्यावन, आप्नवान, और्व, जामदग्न्य, शाखा कौथुमी, सूत्र गोभिल, शिखा वाम, पाद वाम, देवता विष्णु हैं।
श्रोत: हरिदास संस्कृत सीरीज ३६१, लेखक: पं. द्वारकाप्रसाद मिश्र , शास्त्री , चौखम्भा संस्कृत सीरीज ऑफिस , वाराणसी
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हमारे द्वारा इन परंपराओं का समर्थन और संवर्धन हमारे समुदाय के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। आइए, हम सभी मिलकर इस दिशा में प्रयास करें और अपनी पारंपरिक मूल्यों को आधुनिक पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य करें।
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