3.18 मार्क्सवाद ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

3.18 मार्क्सवाद

कार्लमार्क्स (१८१८-१८८३)-के कैपिटल आदि अनेक ग्रन्थोंद्वारा समाजवाद एवं साम्यवादका परिष्कृत रूप व्यक्त हुआ। यों इसका प्रचलन बहुत पूर्वसे ही था। अफलातून, मोर आदिने तथा उनसे भी पहले कई धार्मिक लोगोंने साम्यवादी समाजका चित्रण किया है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की प्रसिद्धि बहुत पुरानी है। किंतु कार्लमार्क्सने साम्यवाद या समष्टिवादको आवश्यक ही नहीं; अपितु अवश्यम्भावी बतलाया। वह एक नयी ऐतिहासिक विश्लेषण-पद्धतिका जन्मदाता तथा पूँजीवादका सर्वश्रेष्ठ समालोचक माना जाता है। फ्रेडरिक एंगिल्ससे इन कार्योंमें उसे बड़ी सहायता मिली थी। उसी दर्शनके आधारपर लेनिनके नेतृत्वमें १९१७ में रूसी क्रान्ति हुई। लेनिनके बाद स्टालिनने इसका नेतृत्व अपने हाथोंमें लिया। चीनमें माओत्सेतुंगने साम्यवादका नेतृत्व किया। इन लोगोंने नयी परिस्थितियोंके अनुसार मार्क्सवादकी नयी व्याख्या की।


श्रोत: मार्क्सवाद और रामराज्य, लेखक: श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज, गीता सेवा ट्रस्ट
निवेदन : मूल पुस्तक क्रय कर स्वयं की तथा प्रकाशक की सहायता करें

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