1.2 यूनानी-दर्शन पाश्चात्य-दर्शन प्राय: मनतक ही पहुँचते हैं। आत्मवादी भी मन और आत्माका अभेद मानते हैं। इस सृष्टिके पहलेकी सृष्टियोंका विचार भी उन लोगोंने नहीं किया। ‘मैटर’ या भूतसमुदाय यद्यपि बहुत सूक्ष्म माना जाता है तथापि वह सांख्यीय प्रकृतिसे भिन्न है। यही कारण है कि आत्माका विचार उनके लिये बहुत दूरकी बात हो गयी है।… Continue reading 1.2 यूनानी-दर्शन ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज