10.8 द्वन्द्वन्याय और अन्तिम सत्य कहा जाता है ‘द्वन्द्वमान किसी भी अन्तिम सत्यको नहीं मानता, इसके विपरीत आदर्शवादी दर्शन हर समय एक अन्तिम सत्यकी खोज करता रहता है। यह सत्य अनादि, अनन्त और निर्विकार है; लेकिन द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद इस परिवर्तनशील जगत्में अपरिवर्तनीय सत्यकी खोज नहीं करता। इस दृष्टिकोणकी कहीं अन्तिम समाप्ति नहीं है। भूत-जगत् निरन्तर… Continue reading 10.8 द्वन्द्वन्याय और अन्तिम सत्य ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज