11.9 भारतीय दर्शनमें ज्ञान-सिद्धान्त ‘काण्टके भी अनुभव और ज्ञान—दोनोंका भेद सिद्ध नहीं हो सकता। भारतीय दर्शनोंके अनुसार अनुभवके ही भ्रम और प्रमा—ये दो भेद होते हैं। उसे ही ज्ञान भी कहते हैं। ‘सर्वव्यवहारहेतुर्गुणो बुद्धिर्ज्ञानम्’ अर्थात् आहार-विहार, शब्द-प्रयोगादि सभी व्यवहारोंका असाधारण कारण गुण ही बुद्धि है, वही ज्ञान भी है। ज्ञानके बिना कोई भी व्यवहार नहीं… Continue reading 11.9 भारतीय दर्शनमें ज्ञान-सिद्धान्त ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज