7.14 व्यक्तिगत वैध भूमि ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
7.14 व्यक्तिगत वैध भूमि किसीकी भूमिपर यज्ञ या पितृश्राद्ध करनेपर भी भूमिपतिको कुछ देना आवश्यक समझा जाता है, अन्यथा भूमिपति उनके फलमें हिस्सेदार होगा। जिन्हें जड़ भौतिक प्रपंचोंसे पृथक् धर्म, परलोक अदृष्टपर भी विश्वास है, वे तो धर्मबुद्धिसे ही कर देना उचित समझते हैं। उसे वे शोषण नहीं समझते। जमींदारी, जागीरदारीके सम्बन्धमें कम्युनिष्ट आदिकी धारणाएँ […]
7.14 व्यक्तिगत वैध भूमि ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज Read More »