आगे माई एहन उमत बर लाइल ~ विद्यापति

आगे माई एहन उमत बर लाइल हिमगिरि देखि-देखि लगइछ रंग। एहन बर घोड़बो न चढ़इक जो घोड़ रंग-रंग जंग॥ बाधक छाल जे बसहा पलानल साँपक भीरल तंग। डिमक-डिमक जे डमरू बजाइन खटर-खटर करु अंग॥ भकर-भकर जे भांग भकोसथि छटर-पटर करू गाल। चानन सों अनुराग न थिकइन भसम चढ़ावथि भाल॥ भूत पिशाच अनेक दल साजल, सिर… Continue reading आगे माई एहन उमत बर लाइल ~ विद्यापति

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