10.11 द्वन्द्वन्याय और विकास ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
10.11 द्वन्द्वन्याय और विकास मार्क्सवादी कहते हैं कि ‘जगत् परिवर्तनशील है। विकास परिवर्तनका ही एक प्रकार है। इस परिवर्तनको देखनेके विभिन्न दृष्टिकोण हैं। अतिभौतिकवादी और नैसर्गिकवादीका दृष्टिकोण एक है और द्वन्द्वात्मक भौतिकवादीका दृष्टिकोण और है। लेनिनकी व्याख्यासे इसपर काफी प्रकाश पड़ता है। विकास विरोधियोंका संघर्ष है। विकासकी दो ऐतिहासिक धाराएँ हैं। पहली विकासवृद्धि और ह्रास […]
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