प्रवर प्रत्येक ब्राह्मण का एक गोत्र होता है। वह वंश सूचक होता है कि ब्राह्मण किस ऋषि का वंशज है। उसके बाद उस ऋषि की परम्परा को सूचित करने वाला ‘कुल गोत्र’ होता है। उसके ‘प्रवर’ कहते हैं। प्रवर तीन या पाँच होते हैं। ये आदि ऋषि के नाम से, आदि ऋषि की तीसरी पीढ़ी… Continue reading सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – १२