7.12 सर्वहारा और क्रान्ति मार्क्सवादियोंके अनुसार ‘साधनहीन श्रेणी अपनी परिस्थितियोंके कारण मुख्यत: तीन भागोंमें बँटी हुई है, जिनमें किसान, मजदूर और निम्न, मध्यम श्रेणीके नौकरी पेशाके लोग हैं। साधनहीन श्रेणीके इन तीनों भागोंमें औद्योगिक देशोंमें मजदूर लोग संख्यामें सबसे अधिक हैं। संख्यामें सबसे अधिक होनेके अलावा उनका घरबार आदि कुछ भी शेष न रहनेसे समाजकी… Continue reading 7.12 सर्वहारा और क्रान्ति ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
Tag: युगसंघर्ष
1. पाश्चात्य-दर्शन – 1.1 दर्शनकी परिभाषा ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
1. पाश्चात्य-दर्शन मार्क्सवादको समझनेके लिये उसकी पृष्ठभूमिपर एक दृष्टि डालना बहुत आवश्यक है। मार्क्सवादमें दर्शन, राजनीति और अर्थशास्त्र तीनोंका ही समावेश है। किसी भी धर्म, सम्प्रदाय, मत या वादका स्थायी आधार उसका दर्शन ही होता है। मार्क्सने भी अपनी विचारधाराका आधार दर्शन ही बनाया। भूत, वर्तमान और भविष्यको एक-दूसरेसे पृथक् नहीं किया जा सकता। यूरोपमें… Continue reading 1. पाश्चात्य-दर्शन – 1.1 दर्शनकी परिभाषा ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज