9.7 गुण-परिवर्तन ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

9.7 गुण-परिवर्तन ‘पूँजीवादमें समाज और प्रकृतिका विरोध तो विद्यमान रहता है; लेकिन इस विरोधके विशिष्टरूपका निराकरण होता है भौगोलिक परिवेष्टनके गुणोंद्वारा नहीं; बल्कि पूँजीवादके विकासके मूल नियमोंके द्वारा। समाज अपने आन्तरिक नियमोंसे और अपनी उत्पादक-शक्तियोंके विकाससे हर विशेष सामाजिक संगठनोंके विशेष साधनोंद्वारा अपने भौगोलिक परिवेष्टनमें परिवर्तन करता है। जंगलोंकी कमी हो गयी है, पेड़ोंके लगाने… Continue reading 9.7 गुण-परिवर्तन ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

8.6 परिवर्तनके कारण ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

8.6 परिवर्तनके कारण मार्क्सके मतानुसार ‘परिवर्तनका कारण न तो भौगोलिक अवस्था ही है न जनसंख्या ही; क्योंकि यूरोप सदियोंसे अपरिवर्तनशील रहा है, फिर भी वहाँ पंचायती व्यवस्था, दासप्रथा, सामन्तवादी, पूँजीवादी व्यवस्था आदि अनेक परिवर्तन हुए। जनसंख्या भारतमें इंग्लैण्ड, अमेरिकासे अधिक होनेपर भी वहाँ इतने परिवर्तन नहीं हुए।’ स्टालिनका कहना है कि ‘ऐतिहासिक भौतिकवादके अनुसार आवश्यक… Continue reading 8.6 परिवर्तनके कारण ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

Exit mobile version