7.24 पूँजीवादी साम्राज्यवाद मार्क्सवादके अनुसार ‘किसी देशका पूँजीवाद जब मुनाफेके लिये अपने देशसे बाहर कदम फैलाता है, तब वह साम्राज्यवादका रूप धारण कर लेता है। प्राचीन समयका साम्राज्यवाद सैनिक आक्रमणके रूपमें आगे बढ़ता था और पराधीन देशोंका शोषण भूमि-करके रूपमें बरतता था। पूँजीवादका साम्राज्य-विस्तार आरम्भ होता है व्यापारसे। फिर अपने व्यापारको दूसरे देशोंके मुकाबलेमें सुरक्षित… Continue reading 7.24 पूँजीवादी साम्राज्यवाद ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज