10.7 क्या मनुष्यकी इच्छाशक्ति स्वाधीन है? ‘मनुष्यकी इच्छा स्वतन्त्र है या नहीं’, यह दार्शनिक क्षेत्रमें एक प्राचीन प्रश्न है। द्वन्द्वात्मक भौतिकवादी इसका उत्तर देते हैं—‘नहीं, इस प्रश्नका मूल भी धर्मविद्यामें है। यदि मनुष्यका कर्म उसकी स्वेच्छासे नहीं है, तो वह पाप-पुण्यके भारसे मुक्त हो जाता है तथा स्वर्ग और नरकका कोई अर्थ नहीं रह जाता।… Continue reading 10.7 क्या मनुष्यकी इच्छाशक्ति स्वाधीन है? ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
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4.9 मनुष्य-जाति ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
4.9 मनुष्य-जाति ‘मनुष्य-जातिका विकास वनमनुष्योंसे हुआ है’, ‘जावाद्वीपके कलिंग नामक मनुष्य अधिकतर वनमनुष्योंसे मिलते हैं, अत: वे ही मनुष्य-जातिके पूर्वपितामह हैं’, यह सब कथन भ्रान्तिपूर्ण हैं। अतएव जो कहा जाता है कि ‘यही मनुष्य-समुदायकी समस्त शाखाओंका जन्मदाता है’ यह सब भी भ्रान्तिपूर्ण है; क्योंकि जब विकासवादका सिद्धान्त ही खण्डित हो गया, तब उसके आधारपर शास्त्र-विरुद्ध… Continue reading 4.9 मनुष्य-जाति ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज