4.12 जड या चेतन? जड संसार जड परमाणुओंके एकत्रित होने या जड विद्युत्कणोंके संघर्ष अथवा प्रकृतिके हलचलमात्रका परिणाम नहीं है; किंतु अखण्ड सत्ता अखण्ड बोध परमानन्दस्वरूप परमात्माकी अघटितघटनापटीयसी मायाशक्तिका परिणाम है। जैसे कल-कारखाने, रेल, तार, रेडियो, वायुयान, परमाणुबम, हाइड्रोजन बम आदि उत्पादक, पालक, संहारक अनेक यन्त्रोंका निर्माण जड-प्रकृति आदिसे सम्पन्न नहीं होता, किंतु उनके लिये… Continue reading 4.12 जड या चेतन? ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
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4.9 मनुष्य-जाति ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
4.9 मनुष्य-जाति ‘मनुष्य-जातिका विकास वनमनुष्योंसे हुआ है’, ‘जावाद्वीपके कलिंग नामक मनुष्य अधिकतर वनमनुष्योंसे मिलते हैं, अत: वे ही मनुष्य-जातिके पूर्वपितामह हैं’, यह सब कथन भ्रान्तिपूर्ण हैं। अतएव जो कहा जाता है कि ‘यही मनुष्य-समुदायकी समस्त शाखाओंका जन्मदाता है’ यह सब भी भ्रान्तिपूर्ण है; क्योंकि जब विकासवादका सिद्धान्त ही खण्डित हो गया, तब उसके आधारपर शास्त्र-विरुद्ध… Continue reading 4.9 मनुष्य-जाति ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
4.5 गर्भ-शास्त्र ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
4.5 गर्भ-शास्त्र कहा जाता है कि ‘गर्भ-शास्त्र’ के आधारपर विकास सिद्ध होता है। पानीमें पड़े हुए पत्तों या लकड़ियोंपर जो लसदार काले चिकने कण दिखायी पड़ते हैं, वे मेढकोंके अण्डे हैं। तीन-चार दिनमें ये कण या पिण्ड पूँछदार और चपटे सिरवाले जन्तुका आकार धारण कर लेते हैं। फिर इनके गलेके पास मछलियोंकी तरह श्वास लेनेके… Continue reading 4.5 गर्भ-शास्त्र ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
4.4 लुप्त-जन्तु ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
4.4 लुप्त-जन्तु यह भी कहा जाता है कि ‘पृथ्वीकी तहोंमें लुप्त हुए पाषाणमय प्राणियोंकी खोजसे भी विकास सिद्ध होता है। प्राणियोंकी शृंखलाकी कुछ कड़ियाँ नहीं मिलतीं; क्योंकि वे आज लुप्त हो चुकी हैं। ‘लुप्त-जन्तु-शास्त्र’ से वर्तमानकालमें अविद्यमान लुप्त जन्तुओंका पता लगाया जाता है। एल० म्यूजियममें घोड़ेकी, साउथ कैन्सिंगटनमें हाथी-दाँतोंकी, ब्रूसेल्समें इग्बेनोडसकी और किस्टल् पैलेस, न्यूयार्क,… Continue reading 4.4 लुप्त-जन्तु ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज