9. मार्क्स-दर्शन मार्क्स प्रयोग तथा अनुभवद्वारा प्राप्त ज्ञानको ही वास्तविक ज्ञान मानता है। ‘डाइलेक्टिस’ (द्वन्द्वमान)-की चर्चा हम पहले कर आये हैं। यह एक यूनानी शब्द है, जिसका अर्थ है दो मनुष्योंका वार्तालाप। इसमें एक तर्ककी स्थापना की जाती है, फिर उसका खण्डन होता है, जिससे नये तर्ककी उत्थापना होती है। इस प्रकार एक नीचे दर्जेके… Continue reading 9. मार्क्स-दर्शन – 9.1 वैज्ञानिक द्वन्द्ववाद ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज