11.3 विज्ञान एवं समाजवाद ‘बोर्जिआई विज्ञानने जहाँ महान् वैज्ञानिक उन्नतियाँ प्राप्त की हैं, वहीं पूँजीवादी सम्बन्धोंने विज्ञानोंके विकासपर बन्धन (सीमाएँ) लगा दिये। समाजवादके अधीन जहाँ विज्ञानका जनताकी सेवाके लिये विकास किया जाता है, ये बन्धन दूर कर दिये जाते हैं। विशेषत: समाजवादके लिये मजदूरवर्गके संघर्षके उदयके साथ समाजविज्ञान स्थापित हुआ है। समाजवादी समाजमें पुरानी आदर्शवादी… Continue reading 11.3 विज्ञान एवं समाजवाद ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
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6.12 समाजवादमें लोकतन्त्र ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज
6.12 समाजवादमें लोकतन्त्र ‘सोवियट कम्युनिज्म’ (रूसी साम्यवाद) नामक पुस्तकमें फेबियन वेव दम्पतिने लिखा है कि ‘जहाँ अमेरिका, ब्रिटेनमें ६० प्रतिशत जनता चुनावमें भाग लेती है, वहाँ सोवियत रूसमें ८० प्रतिशत जनता भाग लेती है। इस आधारपर मार्क्सवादी सर्वहाराका अधिनायकत्व ही वास्तविक जनतन्त्र है। ब्रिटेन, अमेरिकाका जनतन्त्र तो ढोंगमात्र है।’ परंतु दूसरी पार्टीको प्रेस, पत्र, प्रचार… Continue reading 6.12 समाजवादमें लोकतन्त्र ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज