गौतम

Maa_Sarayu

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – १३

गोत्रों का वेदादि विवरण अगस्त्य : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर वाशिष्ठ, ऐन्द्रप्रमद, आभरद्वसव्य, शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिक्षा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं। उपमन्यु : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, ३ प्रवर वैश्वामित्र, कात्य, कील (आक्षील), शाखा माध्यन्दिनी, सूत्र कात्यायन, शिखा दक्षिण, पाद दक्षिण, देवता शिव हैं। कण्व : वेद यजुर्वेद, उपवेद धनुर्वेद, […]

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – १३ Read More »

Maa_Sarayu

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – १२

प्रवर प्रत्येक ब्राह्मण का एक गोत्र होता है। वह वंश सूचक होता है कि ब्राह्मण किस ऋषि का वंशज है। उसके बाद उस ऋषि की परम्परा को सूचित करने वाला ‘कुल गोत्र’ होता है। उसके ‘प्रवर’ कहते हैं। प्रवर तीन या पाँच होते हैं। ये आदि ऋषि के नाम से, आदि ऋषि की तीसरी पीढ़ी

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – १२ Read More »

Maa_Sarayu

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – ११

गोत्रों में प्रमुख ब्राह्मण वंश अगस्त्य – पाण्डेय, त्रिपाठी उपमन्यु – ओझा, पाठक कण्व – द्विवेदी कश्यप – शुक्ल, मिश्र, पाण्डेय, ओझा, पाठक, द्विवेदी, चतुर्वेदी, उपाध्याय, त्रिपाठी कात्यायन – चतुर्वेदी कुण्डिन – शुक्ल, मिश्र, पाण्डेय कुशिक – चतुर्वेदी कृष्णात्रेय – शुक्ल, द्विवेदी कौशिक – त्रिपाठी गर्ग – शुक्ल, त्रिपाठी, पाण्डेय, द्विवेदी, उपाध्याय गौतम – मिश्र,

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – ११ Read More »

Maa_Sarayu

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – १०

गोत्र ‘गोत्र’ शब्द के कई अर्थ होते हैं। किसी व्यक्ति के गोत्र से तात्पर्य उस व्यक्ति के आदि पुरुष से होता है जो कि उस वंश का प्रवर्तक होता है। सबसे प्रथम वैदिक काल में जो ऋषि हुये उनके वंश का विस्तार आगे होता रहा। उस वंश के लोग अन्य लोगों से अलगाव रखने के

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – १० Read More »

Maa_Sarayu

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – ९

पंक्ति और पंक्तिपावन ब्राह्मण सरयूपारीण ब्राह्मणों में पहिले बहुत सुशिक्षित, सच्चरित्र, आचारनिष्ठ ब्राह्मण हुये हैं। इन ब्राह्मणों से सरयूपारीण ब्राह्मणों की पंक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ी। इसलिये उनको ‘पंक्तिपावन’ कहा गया। मनु स्मृति ग्रंथ में मनु महाराज ने पंक्तिपावन ब्राह्मणों का लक्षण निम्नलिखित रूप में बताया है- वेद जानने वालों में अग्रसर छः शास्त्रों के ज्ञाता,

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – ९ Read More »

Maa_Sarayu

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – ६

सरयूपारीण ब्राह्मण वंश में परिवर्तन किसी दूसरे गोत्र के ब्राह्मण की गद्दी (राशि) पर जाने पर वंश में परिवर्तन हो जाता है। जैसे- शांडिल्य गोत्रीय पोहिला तिवारी की गद्दी पर जाने पर वत्स गोत्रीय श्रीधर मिश्र का गोत्र तो वही रहा किन्तु अब वे वत्स गोत्र पोहिला तिवारी हो गये। इसी प्रकार इंटिया पाण्डेय का

सरयूपारीण ब्राह्मणों’ का इतिहास (वंशावली, गोत्रावली और आस्पद नामावली सहित) – ६ Read More »