3.5 महाभारतमें सामाजिक अनुबन्ध ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

3.5 महाभारतमें सामाजिक अनुबन्ध महाभारत शान्तिपर्वमें शरशय्यास्थ भीष्मजीने अन्य धर्मोंके साथ राजधर्मका भी उपदेश किया है। उसमें उन्होंने अराजकताको बड़ा पाप बताया है और कहा है कि ‘राज्यस्थापनाके लिये उद्यत बलवान‍्के सामने सबको ही झुक जाना चाहिये। अराजक राज्यको दस्यु नष्ट कर देते हैं—‘अनिन्द्रमबलं राज्यं दस्यवोऽभिभवन्त्युत।’ अराजक राज्य निर्वीर्य होकर नष्ट हो जाते हैं। अराजकतासे… Continue reading 3.5 महाभारतमें सामाजिक अनुबन्ध ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

3. आधुनिक विचारधारा – 3.1 राज्यका जन्म और सामाजिक अनुबन्ध ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

कहा जाता है कि ‘सर्वप्रथम समझौता-सिद्धान्त’ या ‘अनुबन्धवाद’ ही राजनीतिक सिद्धान्त था। इसीको ‘सोशल कॉन्ट्राक्ट थ्योरी’ कहा जाता है। प्रजाने परस्पर समझौतेसे एक व्यक्तिको अपने सब अधिकारोंको शपथपूर्वक अर्पित किया। सामन्तों और किसानोंका, सामन्तों तथा राजाओंका एवं राजाओं और सम्राट्का सम्बन्ध समझौतोंपर आश्रित था। राजा अपने सामन्तों एवं प्रजाके सम्मुख सच्चरित्रता, न्याय-परायणताकी शपथ लेता था।… Continue reading 3. आधुनिक विचारधारा – 3.1 राज्यका जन्म और सामाजिक अनुबन्ध ~ मार्क्सवाद और रामराज्य ~ श्रीस्वामी करपात्रीजी महाराज

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